कोरोना कोई बीमारी नही है , यह है एक बायोलॉजी वेपन
कयी लोग इसको रोग का नाम देकर नजर अंदाज कर रहे हैं असलीयत में कोरोना कुछ और है. 6 अगस्त 1945 में जब चायना ने जापान पे हुये अमरीका अॅटोमिक हमले के बाद सिख ले लियी थी की शायद भविष्य में हमें युध्द करना पड़ा तो शायद ही नुक्लीयर पावर का युज होगा,क्यो कि पुरी दुनिया तब तक इस टेक्नोलॉजी को युज कर रही होगी.और किसी भी देश ने अगर न्युक्लीयर वॉर छेड़ दि तो शायद ही कोई देश इससे बच पायेगा नहीं तो विश्व का अंत...... तो क्या उपाय था चायना को महासत्ता बनने के लिये,पुरी विश्व पे छाप छोड़ने के लिए.एक ऐसा हथीयार जो पलक झपटने तक बड़ी तबाही मचाये....आपने सही सोचा "बायोलॉजी वॉरफेअर" ये वो हथीयार है जो किसी भी देश को घुटनों पर झुका सकता है. 1945 से लेकर 1991 तक चायना और अमरीका की कुटनीती सही नहीं थी,एक और अमरीका अपने शक्ति के नशे में धुत था तो दुसरी और चायना खुद महाशक्ती बनने कि लालसा में.चायना ने अपनी आपात काल के लिए अपने आबादी के दुगने घर बनाना शुरू किया. आज उनके पास सबसे ज्यादा अस्पताल,इमारतें,और सही तकनीक है.इस विषय को तब गंभीर रुप से लेना शुरु हुआ जब अमेरिकी राइटर "डेन